घर पर ही जैविक खाद तैयार कर रहा किसान |
किसान कर रहे हैं साग सब्जी के साथ फूलों की खेती
रमेश शर्मा
पत्थलगांव/छत्तीसगढ़/
जशपुर जिले के पत्थलगांव विकास खंड अन्तर्गत 18 गांव के किसानों ने रासायनिक खाद को छोड़कर जैविक खाद का उपयोग करना शुरू किया है। किसानों के घर में ही उपलब्ध गोबर तथा कूड़ा करकट से बनने वाली जैविक खाद का उपयोग करने से खेतों की हरियाली बढ़ गई है। इन किसानों का कहना है कि प्रारम्भिक तौर पर जैविक खाद का उपयोग करने के अच्छे नतिजे सामने आए हैं।
लुड़ेग के किसान सुभाष प्रधान ने बताया कि यहंा के अन्य किसानों व्दारा अपने खेतों में रासायनिक खाद के बदले जैविक खाद का इस्तेमाल करते हुए देख कर उसने भी अपने खेतों में इस बार जैविक खाद को अपनाया है। सुभाष प्रधान ने अपनी लगभग डेढ़ एकड़ भूमि में जैविक खाद के सहारे साग सब्जी की खेती शुरू की है। इस किसान का कहना था कि गोभी मिर्ची और भिंडी के पौधे लगाने के बाद एक महिने में ही उसके खेतों में हरियाली छा गई थी। अब वह पहली बार इस फसल से नगद लाभ लेने लगा है। इस किसान का कहना था कि एक एकड़ में लगभग 50 किलो रासायनिक खाद के बदले उसे महज तीन किलो जैविक खाद का उपयोग करना पड़ रहा है। सुभाष प्रधान का कहना था कि इन दिनो खेती के काम में मजदूरों की समस्या को देखते हुए जैविक खाद ने उसकी कई मुश्किलों को दूर कर दिया है।
लुड़ेग में रूद्रधर खुंटिया, केडी खंुटिया, प्रफुल्ल पटेल तथा सुरेश अग्रवाल ने भी अपने खेतों में रासायनिक खेती के बदले जैविक खाद का उपयोग करना शुरू किया है। इन किसानों ने भी जैविक खाद को अधिक उपयोगी बताया है। सुरेश अग्रवाल का कहना था कि इन दिनों किसान के पास में सबसे बड़ी मजदूर की समस्या रहती है। उन्होने बताया कि रासायनिक खाद का प्रयोग करने पर उन्हे युरिया, डीएपी तथा पोटाश खाद खेतों में डालने के लिए बार बार मजदूरों की तलाश करनी पड़ती थी। जैविक खाद की अपेक्षा रासायनिक खाद काफी महंगी होने के कारण इस पर मजदूरी खर्च भी अधिक रहता था। इसके विपरित जैविक खाद का उपयोग करने पर मजदूरी का खर्च भी नाममात्र रह गया है। यहंा के किसानों का कहना कि यदि अपने खेतों में ही जैविक खाद तैयार की जाए तो खेती किसानी का खर्च पहले के मुकाबले में आधा से भी कम पड़ रहा है।
कूड़ा करकट से बनने लगी खाद
पत्थलगांव में उद्यान विभाग के अधीक्षक प्रकाश सिंह भदौरिया ने बताया कि पत्थलगांव विकास खंड में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए यहंा पर 18 गांव के 66 किसानों को निशुल्क जैविक खाद उपलब्ध कराई गई है। इन किसानों को अपने घर की बाड़ी में जैविक खाद बनाने के लिए आधुनिक टेंक का भी वितरण किया गया है। किसान अपने घर पर ही गोबर तथा कुड़ा करकट के साथ पत्तियों को खाद के टेंक में डाल कर खाद तैयार कर रहे हैं। मिर्जापुर के अकलू राम ने बताया कि उसने अपनी बाड़ी में ही जैविक खाद बनाने का काम शुरू किया है। अकलू राम का कहना था कि खाद बनाने के टेंक में गोबर तथा कुड़ा करकट डाल कर तीन माह में लगभग साढ़े चार क्विंटल अच्छी खाद तैयार कर ले रहा है। कई किसानों के पास अधिक भूमि होने पर उनके व्दारा खाद तैयार करने के दो से ज्यादा टेंक बना रखें हैं। उद्यान विभाग की पहल के बाद यहंा पर केराकछार, ईला, तमता, बटूराबहार, मिर्जापुर, पत्थलगांव, मक्कापुर, पालीडिह, पाकरगांव गांव में किसान अपने घर पर ही केंचवा जैविक खाद बनाने लगे हैं। पाकरगांव में फूलों की खेती
इस अचंल के किसानों का कहना था कि रासायनिक खाद के मुकाबले में जैविक खाद की फसल का उपयोग करना काफी लाभप्रद साबित हो रहा है। पाकरगांव में गणेश बेहरा ने अपनी बाड़ी में साग सब्जी की फसल के साथ फुलों की खेती का काम भी शुरू किया है। उन्होने कहा कि इसमें जैविक खाद का प्रयोग करने से काफी अच्छा उत्पादन आया है। स्थानीय बाजार में फुलों की हर समय मांग बनी रहने से इस किसान के पास घर बैठे फुलों के ग्राहक मिलने लगे हैं।
रमेश शर्मा
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