कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012

सलखिया की गौशाला से किसानों को मिल रही मदद

फोटो/ पश्चिम बंगाल के बुचड़खानों को भेजी गई गायों का सलखिया में पालन पोषण
गौवध रोकने की दिशा में सार्थक पहल
पत्थलगांव/ 
     गौवध रोकने की दिशा में यंहा पर सलखिया स्थित गुरूकुल वैदिक आश्रम ने एक मिशाल कायम की है। इस आश्रम में पश्चिम बंगाल के बुचड़खानों में गौवध के लिए भेजी गई 200 से अधिक गायों को वापस लाकर उनका पालन पोषण किया जा रहा है।सलखिया की बृहद गौशाला के मवेशियों के माध्यम से अचंल के किसानों को भी उनके खेती किसानी के कामकाज में सहयोग प्रदान किया जा रहा है। यहंा के अध्यक्ष स्वामी रामानंद का कहना है कि गौवध रोकने के लिए सभी का सहयोग जरूरी है।
  पत्थलगांव के समीप सलखिया गांव में अचंल के वनवासियों को वैदिक शिक्षा और वृध्दाश्रम के माध्यम से बुजुर्गो की बेहतर देखरेख के साथ उन्हे सम्मानजनक आशियाना उपलब्ध कराया गया है।गुरूकुल वैदिक आश्रम का सचंालन करने वाली इस समाजसेवी संस्था ने गरीब तबका के लिए परोपकार के काम करके अलग पहचान कायम की है। इस संस्था के अध्यक्ष स्वामी रामानंद सरस्वती ने बताया कि देश के विभिन्न हिस्सों से गौवध के लिए भेजी गई 200 से अधिक गायों को सलखिया आश्रम में रख कर उनकी सेवा की जा रही है। सलखिया की इस गौशाला में एकत्रित दूध दही को आश्रम में रह कर विद्याध्यन करने वाले गरीब तबका के बच्चों को वितरण कर उन्हे तन्दरूस्त बनाने में मदद दी जा रही है। स्वामी ने बताया कि गौवध के कृत्य को रोकने के लिए केवल बयानबाजी पर्याप्त नहीं है, बल्कि इस काम में सभी को गाय पालन के काम हेतु प्रेरित करने की जरूरत है।उन्होने बताया कि आदिवासी अचंल में किसानों को अपनी खेती के काम हेतु महंगे बैल खरीदने पड़ते हैं। यदि गाय पालन के काम को बढ़ावा दिया जाए तो किसानों की इस समस्या से राहत दी जा सकती है। स्वामी रामानंद ने कहा कि गाय पालन से जैविक खाद तथा बिजली का भी लाभ लिया जा सकता है।
   उन्होने बताया कि इस अचंल के प्रमुख समाजसेवी इन्द्रपाल सिंह भटिया का सहयोग मिल जाने के बाद सलखिया गुरूकुल वैदिक आश्रम में गरीब तबका के सैकड़ो बच्चांे को भी शिक्षा के माध्यम से आत्म निर्भर बनाने की पहल की गई है।यहंा वृध्दाश्रम और बृहद गौशाला के माध्यम से आसपास के ग्रामवासियों को सहयोग देने का प्रयास किया गया है। पत्थलगांव के समीप सलखिया आश्रम में गरीब तबका के बच्चों को विभिन्न ट्रेडो के तहत कृषि,वेल्डिंग,स्क्रीन प्रिंटिग,कारपेंटरी के काम का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है।इस आश्रम के 100 बच्चों को इन दिनों बैदिक संस्कृति के साथ आसन, व्यायाम, प्राणायाम विद्या में भी पारंगत किया जा रहा है।स्वामी रामानंद का कहना है कि बच्चों को बचपन से ही वैदिक शिक्षा के साथ शाररिक उन्नति पर ध्यान देने से ये बच्चे आगे चल कर स्वस्थ्य जीवन व्यतित कर सकते हैं।उन्होने बताया कि इस आश्रम में प्राचीन रूढ़ियों को तोड़ कर अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़ा वर्ग के बालकों को बैदिक शिक्षा का पूरा ज्ञान देकर उन्हे आत्म निर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

सोमवार, 20 फ़रवरी 2012

ग्रामीण महिला को लगातार तीसरी बार सरपंच की जिम्मेदारी


महिला सरपंच श्रीमती जानकी बाई किसानों के साथ
नशामुक्त ग्राम पचायत बनाने की पहल,

गुड़ाखू नशा पर भी लगाना होगा प्रतिबंध

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में गांव के विकास कार्यो को गति देने के साथ साथ किसानों को भी आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सार्थक पहल करने वाली महिला सरपंच को चिकनीपानी के ग्रामीणों ने लगातार तीसरी बार सरपंच की कुर्सी सौंपी है।
     पत्थलगांव विकासखंड अन्तर्गत चिकनीपानी की महिला सरपंच श्रीमती जानकी बाई का कहना है कि उसके गांव में महिलाओं व्दारा शुरू किया गया नशा बन्दी र्का अिभयान में पुलिस प्रशासन का भी सहयोग मिलना चाहिए। इसके बाद वे अपनी ग्राम पचंायत को नशामुक्त बनाने में कामयाब हो सकती हैं।जानकी बाई ने गांव की महिलाओं को जागरूक बनाकर उन्हे शराब विरोधी आन्दोलन के लिए प्रेरित किया है। इस गांव की महिलाऐं शराब बनाने वालों के साथ शराबियों को भी आड़े हाथ लेने में पीछे नहीं रहती हैं।महिला सरपंच जानकीबाई का कहना है कि मुख्यमंत्री डा.रमन सिंह को गुड़ाखू नशा पर भी कड़ाई से रोक लगाने की पहल करनी चाहिए।
 पिछले एक दशक से भी लम्बे समय से ग्राम पचंायत चिकनीपानी में सरपंच पद का दायित्व सम्हालने वाली महिला सरपंच श्रीमती जानकी बाई को बीते वर्ष निर्मल ग्राम बनाने पर उन्हे देश की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल के व्दारा सम्मानित किया जा चुका है। जानकी बाई का कहना ह ैकि उनके गांव का किसान खुशहाल रहेगा तभी उसे सन्तुष्टि मिल पाती है। इस महिला ने किसानों के खेतों में समतलीकरण का काम पर विशेष जोर दिया है। चिकनीपानी गांव में ज्यादातर किसानों के पास बजंर और पथरीली भूमि होने के कारण यहंा के किसानों को मजदूरी करने के लिए बाहर पलायन करना पड़ता था। महिला सरपंच जानकी बाई ने यहंा पर भूमि समजली करण का काम से सैकड़ों किसानों को लाभान्वित किया है।

       शासन की भूमि समतलीकरण योजना का लाभ मिलने के बाद अब चिकनीपानी क्षेत्र के किसान अपने ही खेतों में टमाटर, धान, साग सब्जी जैसी नगद फसल लेने में ब्यस्त रहते हैं।यहंा के किसानों व्दारा टमाटर की दोहरी फसल लेकर अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बना लिया है।इन दिनो चिकनीपानी में बलबीर, राजेश और हाकिम की बजंर भूमि में समतलीकरण का काम कराया जा रहा है। इन किसानों ने बताया कि उन्हे अपने खेत बनाने के लिए सरपंच कार्यालय में नहीं जाना पड़ा। बल्कि सरपंच स्वंय उनके मुहल्ले में पहुंच कर उन्हे स्वयं समतलीकरण का लाभ के बारे में समझाईश देने आई थी। ग्राम पचंायत चिकनीपानी में किसानों के खेतों में सिंचाई साधन की कमी को देखते हुए यहंा पर भरारी बांध की नहरों को पक्का कराया गया है। इन नहरों का पानी किसानों के खेतों तक पहुंच जाने से यहंा के किसान अब साग सब्जी जैसी नगद फसल का लाभ लेने लगे हैं। गांव में इन दिनों आधा दर्जन किसानों ने अपने खेत में डबरी बनाने का भी काम शुरू किया है। महिला सरपंच जानकी बाई ने जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी बिश्वनाथ नायक से सम्पर्क कर इन किसानों को शासकीय मदद दिलाई है।

  यहंा कि महिला पचं परमीला, गुरबारी,सुशीला, अलमा तथा जेरोनिका का कहना था कि उनकी ग्राम पचंायत में  महिला सरपंच होने से उन्हे अपने वार्ड में विकास कार्य कराने के लिए ज्यादा भाग दौड़ नहीं करनी पड़ती है। इन पंचों ने बताया कि वे सरपंच के साथ प्रत्येक पखवाड़े अलग अलग मुहल्ल्लों का भ्रमण कर ग्रामीणों से उनकी समस्याओं का ब्यौरा एकत्रित करते हैं। इन कार्यो को प्राथमिकता के आधार पर पचंायत में प्रस्ताव पारित कर उसे पूरा करते हैं। इन दिनों यहंा पर  कर्राढाड़ से भरारी चैक तक सड़क में मुरूमीकरण का काम पूरा कराया गया है।गांव के लोगों का कहना है कि हमारी महिला सरपंच उनकी मुलभूत सुविधाओं का पूरा ध्यान रखती हैं इसलिए वे बार बार उन्हे काम करने का अवसर दे रहे हैं।
रमेश शर्मा     

सोमवार, 6 फ़रवरी 2012

गरीब बच्चों को मिलती है वैदिक संस्कृति की शिक्षा


सलखिया का गुरुकुल आश्रम है सद्भावना की अनोखी मिसाल


 संसदीय सचिव ओमप्रकाश राठिया एवं प्रमुख समाजसेवी पोम्मी भाटिया व्दारा गरीबों को कम्बल का वितरण किया गया। 
                    
   पत्थलगांव / रमेश शर्मा
     गरीब तबका के बच्चों को जातिगत भेद भाव से दूर रखकर गुरुकुल आश्रम की प्राचीन परम्पराओं के अनुरूप वेद की शिक्षा के साथ साथ उन्हे आत्म निर्भर बनाने के लिए सराहनीय पहल की जा रही है। पत्थलगांव के समीप लैलूंगा विकास खंड के सलखिया गांव में स्थित यह विद्यालय प्रेरणा और सद्भावना की अनोखी मिशाल है।
      इस विद्यालय के वार्षिक उत्सव कार्यक्रम के समापन समारोह में मुख्य अतिथि संसदीय सचिव ओम प्रकाश राठिया उपस्थित थे। उन्हांेने  कहा कि आज भाग दौड़ की जीवन में अच्छे संस्कार देकर गरीब बच्चों वैदिक संस्कृति सिखाना बेहद कठिन काम है। श्री राठिया ने कहा कि आपस की सद्भावना को कायम रखने के लिए प्राचीन शिक्षा पद्यति को लुप्त होने से बचाना होगा। उन्होने कहा कि सलखिया गांव में इस काम को पूरी ईमानदारी और लगन के साथ किया जा रहा है। श्री राठिया ने कहा कि गरीब बच्चों को शिक्षा देने के इनक कार्यो में सभी को अपनी भागीदारी निभानी चाहिए। सलखिया स्थित आर्य विद्या सभा के वार्षिक उत्सव में शामिल होकर सैकड़ों गरीब लोगों को ठंड से बचने के लिए कम्बल वितरण किए। इस कार्यक्रम में आर्य विद्या सभा ने तीन दिनों तक वेद प्रवचन का आयोजन भी किया।जिसमें देश के कोने कोने से आए विदवानों ने वेदों के महत्व पर प्रकाश डाला।
   वेद प्रवक्ता डॉ. धर्मवीर ने कहा कि मौजूदा परिवेश में वेदों का अनुशरणकाफी महत्वपूर्ण हो गया है।वेद के अनुसरण से ही एकता और अखंडता की प्रेरणा मिलती है। डा.धर्मवीर ने कहा कि जाति और धर्म को अलग अलग करके व्देष और हिंसा को बढ़ा दिया गया है। इसके विपरित वेद में एक धर्म एक भाषा तथा अखंडता व शांति को महत्व दिया गया है। इसी तरह दिल्ली से प.ं दिनेश दत्त एवं देहरादून से आए सत्यपाल सरल ने भी ज्ञानवर्धक उपदेश देकर सभी का मन मोह लिया। सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के उपप्रधान सुरेश अग्रवाल ने ध्वजारोहण कर कार्यक्रम की शुरूवात की। वार्षिक उत्सव के समापन समारोह में विद्यालय के छात्रों ने शाररिक योग तथा वेद के विभिन्न कार्यक्रम प्रस्तुत किए।तीन दिवसीय इस कार्यक्रम में रायगढ़ ,जशपुर,सरगुजा जिलों से आए हजारों लोगों ने कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दी। आर्य विद्या सभा ने इस दौरान प्रति दिन 5000 से अधिक निर्धन व्यक्तियों को भोजन करा कर उन्हे जीवन में उन्नति की डगर दिखाई।


वार्षिक उत्सव कार्यक्रम में हजारों लोगों ने भोजन किया
 
  आर्य सभा के अध्यक्ष स्वामी रामानंद ने बताया  िकइस विद्यालय में पहली से बारहवीं तक की आवासीय निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। जिसमें गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले बच्चों को आत्म निर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है। उन्हांेने बताया कि वेद पाठशाला में ग्रामीण अचंल के 27 बच्चों का चयन किया गया है। इन बच्चों को वेैदिक संस्कृति  की शिक्षा के साथ प्रति माह पांच सौ रू.की छात्रवृत्ति भी दी जा रही है।वेदिक संस्कृति के छात्र आसन,व्यायाम,प्राणायाम करके अपनी शारीरिक उन्नति, यज्ञ, ब्रम्हयज्ञ,तथा वेद पाठ के माध्यम से आत्मिक प्रगति कर रहे हैं। स्वामी जी ने बताया कि इस ग्रामीण विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को विभिन्न ट्रेडों के तहत  कृषि,वेल्डिंग,स्क्रीन प्रिटिंग,कारपेंटरी आदि का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस संस्था में 100 गाय की एक बृहद गौशाला भी  संचालित है। इसके अलावा वृध्दों की सुव्यवस्था के लिए वृध्दाश्रम का भी संचालन किया जा रहा है। आश्रम में वृध्दों को समुचित व्यवस्था निशुल्क उपलब्ध कराई जा रही हैं।
      आर्य सभा के अध्यक्ष रामानंद ने बताया कि यहंा की गतिविधियों का सचंालन के लिए रायगढ़ के प्रमुख समाजसेवी पोम्मी भाटिया से भरपूर सहयोग मिल रहा है।उन्होने कहा कि यहंा प्राचीन रूढ़ियों को तोड़ कर अनुसूचित जाति,अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के बालकों को वेद संस्कृति की शिक्षा देकर उन्हे आत्म निर्भर बनाने की पहल की गई है।

      
रमेश शर्मा