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बुधवार, 22 अक्तूबर 2014

जज्बे से छँट गया अंधेरा

महिला मंडल की सदस्य दृष्टिबाधित बच्चों के साथ दीपावली का पर्व मनाते हुए

दूसरों से मिलती हैं त्योहार की खुशियॉं
दृष्टिबाधित बच्चों के चेहरों पर फैली खुशियॉं
   रमेश शर्मा/  पत्थलगांव/     
       अपनी जिन्दगी में रोशनी के उजाले से दूर रहने वालों के चेहरों पर यदि खुशियां लाई जाए, तो यह क्षण दीपोत्सव के अवसर पर तरह तरह के स्वादिष्ट व्यंजन का स्वाद से भी अधिक प्रभावशाली साबित होता है। जीवन की तेज भागदौड़ की व्यस्तता के बीच पत्थलगांव महिला मंडल की सदस्यों ने बुधवार को यहां दृष्टि बाधित गरीब बच्चों को ढेर सारे उपहार भेंट कर ऐसी ही खुशियों का आनंद लिया।
    यहां की समाज सेवी संस्था राहा व्दारा ग्रामीण अचंल में रहने वाले 20 दृष्टिबाधित बच्चों को पत्थलगांव का शक्ति सेवा केन्द्र में पढ़ा लिखा कर आत्म निर्भर बनाने की पहल शुरू की है। इन 20 बच्चों के लिए आवास भोजन की निशुल्क व्यवस्था के साथ ब्रेल लिपि के प्रशिक्षित शिक्षक इन्हे जीवन में आत्मनिर्भर बनाने में जुटे हुए हैं। बताया जाता है कि इन बच्चों की बचपन से ही आंखों की रोशनी नहीं रहने से इनके अभिभावक अपनी गरीबी के कारण इन बच्चों को केवल बोझ की तरह ढो रहे थे। ऐसे बच्चों को यहां ब्रेल लिपि से पढ़ाने के साथ अन्य बच्चों के साथ खेल तथा पढ़ाई लिखाई कराने से इन्हे अपने जीवन में कुछ कर दिखाने के लिए नई डगर मिल गई है।
    पत्थलगांव की महिला मंडल अध्यक्ष श्रीमती चन्दा राजकुमार गर्ग ने बताया कि गरीब तबका के दृष्टिबाधित इन बच्चों के बारे में जब उन्हे जानकारी मिली तो वे महिला मंडल की अन्य सदस्यों के साथ किसी भी तीज त्योहार के समय इन बच्चों के लिए विभिन्न उपहार लेकर उनके बीच पहुंच जाती हैं। दृष्टिबाधित इन बच्चों व्दारा गीत संगीत के साथ खेल कूद और पढ़ने में अपनी काबिलियत का लोहा मनवा दिया है। सभी बच्चे प्रातः खेल कूद में भाग लेने से पहले योग का भी शानदार प्रदर्शन करना सीख गए हैं। यहां के कई बच्चे जब मधुर संगीत के साथ गीतों का स्वर निकालते हैं तो किसी को विश्वास ही नहीं होता कि इनकी जिन्दगी में अंधेरा फैला हुआ है। दृष्टिबाधित बच्चों ने ब्रेल लिपि लिखने एवं पढ़ने की गति बढ़ाकर सामान्य लोगों की तरह चलने फिरने ,सार्वजनिक स्थलों में बिना किसी के सहयोग के चलने के अलावा अपने कार्यो को करने में सक्षम हो रहे हैं। राहा की निदेशक सिस्टर एलिजाबेथ ने बताया कि दृष्टि बाधित इन बच्चों में सीखने का जज्बा के साथ उनमें रूचि के साथ ध्यानपूर्वक कठिन अभ्यास करने की लगन है। इसी वजह इन बच्चों ने अपने जीवन से अधंकार को हटाने सफलता हासिल की है।
             
जीने का जज्बे से छंट गया अंधेरा
                            छलके खुशी के आंसू
  महिला मंडल की सदस्यों ने दृष्टिबाधित इन बच्चों को दीपावली के अवसर पर नए कपड़े, मिठाई और खिलौने भेंट किए तब सभी बच्चों ने हंसते हुए एक साथ थैक्स आंटी कहा तो वहंा उपस्थित अन्य लोगों की आंखों में भी आंसू निकल पड़े थे। महिला मंडल की सह सचिव श्रीमती अर्चना अग्रवाल का कहना था कि दृष्टिबाधित इन बचचों ने अपनी लगन और मेहनत से ईश्वर के कोप को भी निरर्थक बना दिया है। उन्होने कहा कि ऐसे बच्चों की खुशियों से ही त्योहार की सच्ची खुशी मिलती है। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा, जिला कांग्रेस अध्यक्ष पवन अग्रवाल, सिविल अस्पताल के बीएमओ डा.जेम्स मिंज, सेंट जेवियर स्कूल के प्राचार्य फादर पंखरासियुस सहित अनेक लोग उपस्थित थे।