दूध विक्रेता पत्थलगांव |
पत्थलगांव / रमेश शर्मा
जशपुर जिले के शहर एवं गांवो में पौष्टिक दूध के नाम पर उपभोक्ताओं व्दारा अच्छी खासी रकम अदा करने के बाद भी आधा दूध व आधा पानी मिल रहा है।कई दूध विक्रेता दूध को गाढ़ा करने के लिए यूरिया और आरारोट की मिलावट करने लगे हैं। मिलावटी दूध की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास पर्याप्त अमला नहीं होने से जांच अभियान नहीं चल पा रहा है।
मिलावटी दूध को लेकर आए दिन गृहणियों का दूधवालों से विवाद होता है। दूध के लिए प्रति लिटर 30 से 40 रुपयों का भुगतान करने के बाद भी लोगों का शुध्द दूध नसीब नहीं हो पा रहा है। खादय एवं औषधि प्रशासन की अनदेखी से उपभोक्ताओं को आंख मूंद कर दूध के नाम पर पानी के दाम चूकाने पड़ रहे हैं।यहंा पर आम लोगों की शिकायत है कि जिले का खादय एवं औषधि प्रशासन दूध विक्रेताओं पर शिकंजा कसने के लिए सरप्राइज चेकिंग करना छोड़ शिकायत मिलने के बाद भी कार्रवाई नहीं कर रहा है। सुबह नींद खुलते ही लोगों को सबसे पहले दूध वाले का इंतजार रहता है।कुछ के घरों पर दूध वाले पहुंच जाते हैं तो कुछ लोगों को दूध डेयरी पहुंच कर इस जरूरी खादय सामग्री की खरीदी करनी पड़ती है। यहंा शुध्द दूध की डेयरी पर 40 रूपये लीटर में दूध खरीदने वालों को भी मिलावटी दूध बेचा जा रहा है। कई दूध विक्रेताओं व्दारा अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में पाउडर तथा अन्य सामग्रियों की मिलावट करने से लोगों की सेहत से भी खिलवाड़ हो रहा है। पीतृपक्ष के बाद त्यौहार प्रारम्भ हो जाने से दूध की मांग में लगातार इजाफा होगा। ऐसे समय दूध विक्रेता मिलावट का खेल को और बढ़ा देते हैं।गृहणियों के लिए यह सबसे जरूरी खादय सामग्री होने के कारण उन्हे मिलावट के बाद भी बेबस होना पड़ रहा है।
बेबस स्वास्थ्य विभाग
जिले में दूध की गुणवत्ता की जांच करने के लिए खादय एवं औषधि प्रशासन विभाग ने आज तक सघन अभियान नहीं चलाया है। बताया जाता है कि स्वास्थ्य विभाग ने जिले में मिलावटी खादय सामग्री की जांच के लिए तीन चिकित्सकों को विशेष प्रशिक्षण दिलाया गया था। इनमें दो चिकित्सकों ने शासकीय खर्च पर प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मिलावटी खादय सामग्री की जांच के काम से अपना हाथ खिंच लिया है। इस वजह स्वास्थ्य विभाग यहंा बेबस हो गया है।
बताया जाता है कि कई बार लोगों ने नगर पंचायत के माध्यम से तथा सीधे विभाग के अधिकारियों को लिखित शिकायतें भी भेजी हैं पर इन शिकायतों का कोई असर नहीं होने से लोगों को मिलावटी और धीमा जहरयुक्त दूध खरीदना पड़ रहा हैं।
जानकारों का कहना है कि दूध विक्रेताओं के पास गाढ़ा दूध देख कर लोग संतुष्ट हो जाते हैं कि उन्हे अच्छा शुध्द दूध मिल रहा है,जबकि हकिकत इससे काफी दूर रहती है। वार्ड 7 के नागरिक गुरूचरण सिंह भाटिया ने बताया कि दूध में यूरिया,आरारोट तथा अन्य मिलावट के चलते इसका बच्चों पर विपरित असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि यदि दूध की नियमित जांच हो तो दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है। यहंा के होटल व्यवसायी मौसम अग्रवाल का कहना था कि एक लीटर दूध में 200 ग्राम खोवा बनना चाहिए,लेकिन पानी मिलावट के कारण 140 से 150 ग्राम खोवा ही बन पाता है।उन्होने कहा कि यह सब दूध में मिलावट का ही असर है।
मिलावटी दूध विक्रेताओं पर दंड
यहां की ज्यादातर गृहणी भी दूध में मिलावटखोरी से काफी परेशान हैं। यहंा पर कोयला फैक्ट्री गली में रहने वाली श्रीमती गायत्री शर्मा ने बताया कि दूध की क्वालिटी को देख कर सुबह सुबह मुड़ खराब हो जाता है।यहंा इन उपभोक्ताओं का कहना था कि पहले 20 रू. लीटर में अच्छा दूध मिल जाता था पर अब 40 रू.के दाम में भी पानी मिलावट से काम चलाना पड़ रहा है। यहंा की महिलाओं की शिकायत है कि दूध में पानी मिलावट की जांच के लिए सघन अभियान चलना चाहिए। इससे दूध में मिलावट करने वालों को दंड मिलने के बाद उनमें भय बन सकता है।
यहां पर शासकीय कर्मियों का कहना है कि कई बार दूध वाले को मिलावटी दूध होने की शिकायत करने पर उनका एक ही जवाब रहता है कि लेना हो तो लो वरना छोड़ दो। इस जवाब के बाद मिलावटी दूध लेना मजबूरी हो चुका है।
जिले में नहीं है जांच अमला
खादय एवं औषधि प्रशासन विभाग के पास पूरे जिले में एक चिकित्सक होने के कारण मिलावट खोरो के विरूध्द जांच का सघन अभियान नहीं चल पाया है। मिलावटी दूध तथा अन्य खादय सामग्री बिक्री की लगातार शिकायतों के मददेनजर जल्द ही जिले में औचक निरीक्षण के लिए अभियान चलाया जाएगा।
भारत भूषण बोर्डे, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
जशपुर जिले के शहर एवं गांवो में पौष्टिक दूध के नाम पर उपभोक्ताओं व्दारा अच्छी खासी रकम अदा करने के बाद भी आधा दूध व आधा पानी मिल रहा है।कई दूध विक्रेता दूध को गाढ़ा करने के लिए यूरिया और आरारोट की मिलावट करने लगे हैं। मिलावटी दूध की जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग के पास पर्याप्त अमला नहीं होने से जांच अभियान नहीं चल पा रहा है।
मिलावटी दूध को लेकर आए दिन गृहणियों का दूधवालों से विवाद होता है। दूध के लिए प्रति लिटर 30 से 40 रुपयों का भुगतान करने के बाद भी लोगों का शुध्द दूध नसीब नहीं हो पा रहा है। खादय एवं औषधि प्रशासन की अनदेखी से उपभोक्ताओं को आंख मूंद कर दूध के नाम पर पानी के दाम चूकाने पड़ रहे हैं।यहंा पर आम लोगों की शिकायत है कि जिले का खादय एवं औषधि प्रशासन दूध विक्रेताओं पर शिकंजा कसने के लिए सरप्राइज चेकिंग करना छोड़ शिकायत मिलने के बाद भी कार्रवाई नहीं कर रहा है। सुबह नींद खुलते ही लोगों को सबसे पहले दूध वाले का इंतजार रहता है।कुछ के घरों पर दूध वाले पहुंच जाते हैं तो कुछ लोगों को दूध डेयरी पहुंच कर इस जरूरी खादय सामग्री की खरीदी करनी पड़ती है। यहंा शुध्द दूध की डेयरी पर 40 रूपये लीटर में दूध खरीदने वालों को भी मिलावटी दूध बेचा जा रहा है। कई दूध विक्रेताओं व्दारा अधिक मुनाफा कमाने के चक्कर में पाउडर तथा अन्य सामग्रियों की मिलावट करने से लोगों की सेहत से भी खिलवाड़ हो रहा है। पीतृपक्ष के बाद त्यौहार प्रारम्भ हो जाने से दूध की मांग में लगातार इजाफा होगा। ऐसे समय दूध विक्रेता मिलावट का खेल को और बढ़ा देते हैं।गृहणियों के लिए यह सबसे जरूरी खादय सामग्री होने के कारण उन्हे मिलावट के बाद भी बेबस होना पड़ रहा है।
बेबस स्वास्थ्य विभाग
जिले में दूध की गुणवत्ता की जांच करने के लिए खादय एवं औषधि प्रशासन विभाग ने आज तक सघन अभियान नहीं चलाया है। बताया जाता है कि स्वास्थ्य विभाग ने जिले में मिलावटी खादय सामग्री की जांच के लिए तीन चिकित्सकों को विशेष प्रशिक्षण दिलाया गया था। इनमें दो चिकित्सकों ने शासकीय खर्च पर प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद मिलावटी खादय सामग्री की जांच के काम से अपना हाथ खिंच लिया है। इस वजह स्वास्थ्य विभाग यहंा बेबस हो गया है।
बताया जाता है कि कई बार लोगों ने नगर पंचायत के माध्यम से तथा सीधे विभाग के अधिकारियों को लिखित शिकायतें भी भेजी हैं पर इन शिकायतों का कोई असर नहीं होने से लोगों को मिलावटी और धीमा जहरयुक्त दूध खरीदना पड़ रहा हैं।
जानकारों का कहना है कि दूध विक्रेताओं के पास गाढ़ा दूध देख कर लोग संतुष्ट हो जाते हैं कि उन्हे अच्छा शुध्द दूध मिल रहा है,जबकि हकिकत इससे काफी दूर रहती है। वार्ड 7 के नागरिक गुरूचरण सिंह भाटिया ने बताया कि दूध में यूरिया,आरारोट तथा अन्य मिलावट के चलते इसका बच्चों पर विपरित असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि यदि दूध की नियमित जांच हो तो दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है। यहंा के होटल व्यवसायी मौसम अग्रवाल का कहना था कि एक लीटर दूध में 200 ग्राम खोवा बनना चाहिए,लेकिन पानी मिलावट के कारण 140 से 150 ग्राम खोवा ही बन पाता है।उन्होने कहा कि यह सब दूध में मिलावट का ही असर है।
मिलावटी दूध विक्रेताओं पर दंड
यहां की ज्यादातर गृहणी भी दूध में मिलावटखोरी से काफी परेशान हैं। यहंा पर कोयला फैक्ट्री गली में रहने वाली श्रीमती गायत्री शर्मा ने बताया कि दूध की क्वालिटी को देख कर सुबह सुबह मुड़ खराब हो जाता है।यहंा इन उपभोक्ताओं का कहना था कि पहले 20 रू. लीटर में अच्छा दूध मिल जाता था पर अब 40 रू.के दाम में भी पानी मिलावट से काम चलाना पड़ रहा है। यहंा की महिलाओं की शिकायत है कि दूध में पानी मिलावट की जांच के लिए सघन अभियान चलना चाहिए। इससे दूध में मिलावट करने वालों को दंड मिलने के बाद उनमें भय बन सकता है।
यहां पर शासकीय कर्मियों का कहना है कि कई बार दूध वाले को मिलावटी दूध होने की शिकायत करने पर उनका एक ही जवाब रहता है कि लेना हो तो लो वरना छोड़ दो। इस जवाब के बाद मिलावटी दूध लेना मजबूरी हो चुका है।
जिले में नहीं है जांच अमला
खादय एवं औषधि प्रशासन विभाग के पास पूरे जिले में एक चिकित्सक होने के कारण मिलावट खोरो के विरूध्द जांच का सघन अभियान नहीं चल पाया है। मिलावटी दूध तथा अन्य खादय सामग्री बिक्री की लगातार शिकायतों के मददेनजर जल्द ही जिले में औचक निरीक्षण के लिए अभियान चलाया जाएगा।
भारत भूषण बोर्डे, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
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