पत्थलगांव /
वैदिक शिक्षा की चाहत रखने वाली नौ
नन्ही बालिकाऐं राजस्थान के श्री गंगानगर स्थित फतूही कन्या गुरुकुल वैदिक आश्रम में
रह कर शास्त्री तक विद्या अध्ययन करेंगी। ग्रामीण अंचल में रहने वाली इन बालिकाओं की
वैदिक शिक्षा के प्रति गहरी लगन को देख कर उनके परिजन इन्हें साथ लेकर राजस्थान रवाना
हुए हैं।
समीप
ग्राम पालिडीह के यशकुमार ने बताया कि उसकी दो बेटी ज्योति 12 वर्ष और किरण 10 वर्ष की वैदिक षिक्षा में
रूचि है। दोनो बालिकाओं की इच्छा को देख कर उसने कन्या वैदिक आश्रम की जानकारी एकत्रित
की थी। यहंा आर्य समाज के प्रधान रामकिषोर गुप्ता द्वारा राजस्थान स्थित श्री गंगानगर के कन्या वैदिक आश्रम की जानकारी उपलब्ध कराने पर उन्होंने वहंा जाकर
कन्या आश्रम का अवलोकन किया था। बालिकाओं के लिए वैदिक षिक्षा के बेहतर इंतजाम मिलने
पर ही उसने अपनी दोनो बेटियों का गुरुकुल वैदिक आश्रम भेजने का निर्णय लिया है।
यशकुमार
का कहना था कि उसके कुमेकेला के मि़त्रों को जब वैदिक षिक्षा के बारे में जानकारी दी
तो वे भी अपनी बेटियों को आश्रम में भेजने के लिए तैयार हो गए। यशकुमार की दो बेटियों
के साथ ग्राम कुमेकेला के बसंत कुमार लहरे भी अपनी चार बेटियों को वैदिक आश्रम लेकर
जा रहे हैं। बसंत कुमार लहरे की बेटी लीना 12 वर्ष, सविता 10 वर्ष, भारती 8 वर्ष और समिता 6 वर्ष भी राजस्थान के गुरुकुल
आश्रम में रह कर वैदिक षिक्षा ग्रहण करेगी। इनके अलावा ग्राम झक्कड़पुर के अमृतसाय नाग
और शिवरतन नाग ने भी बैदिक षिक्षा दिलाने के लिए अपनी इकलौती बेटियों को इसी काफिले
के साथ रवाना किया है। इन सभी ग्रामीणों का कहना था कि शास्त्री तक की वैदिक षिक्षा
पूरी करके ये बालिकाएँ दूसरों के लिए मिसाल कायम करेंगी।
यहॉं आर्य
समाज के प्रधान रामकिशोर गुप्ता ने बताया कि बालिकाएँ प्राचीन शिक्षा के साथ सुसंस्कृत
बन कर भावी पीढ़ी के लिए भी प्रेरणा का काम कर सकती हैं। उन्होने बताया कि राजस्थान
के कन्या वैदिक आश्रम में वेद,दर्शन,ब्राम्हण ग्रंथ, गीता, रामायण,
उपनिषद आदि के साथ गणित, अंग्रेजी, भूगोल जैसे
महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत शिक्षा दी जाती है। उन्होने बताया कि बालिकाओं के चहुंमुखी
विकास हेतु नैतिक शारीरिक, वैदिक, क्रीडा, व्यावहारिक
एवं आध्यात्मिक षिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है।